कल

जब कल नहीं था , पछतावा भी नहीं था जब कल नहीं था , कोई उम्मीद भी नहीं थी जब कल नहीं था , कोई मायूसी भी नहीं थी जब कल नहीं था , कोई ख्वाइश भी नहीं थी जब कल नहीं था , कोई तड़प भी नहीं थी जब कल नहीं था , कोई फखर भी नहीं था जब कल नहीं था , कोई गुस्सा भी नहीं था जब कल नहीं था , कोई अफ़सोस भी नहीं था जब कल नहीं था , बहुत मोहब्बत थी जब कल नहीं था , बहुत ख़ुशी थी जब कल नहीं था , बहुत सुकून था अफ़सोस की आज " कल " है इस लिए मोहब्बत की शदीद ख्वाइश है ख़ुशी के लिए दिल तड़प रहा है सुकून की तो सिर्फ उम्मीद ही है आज " कल " में जैसे की खो गया है - मुस्तन जिरुवाला