कल



जब कल नहीं था, पछतावा भी नहीं था
जब कल नहीं था, कोई उम्मीद भी नहीं थी
जब कल नहीं था, कोई मायूसी भी नहीं थी
जब कल नहीं था, कोई ख्वाइश भी नहीं थी
जब कल नहीं था, कोई तड़प भी नहीं थी
जब कल नहीं था, कोई फखर भी नहीं था
जब कल नहीं था, कोई गुस्सा भी नहीं था
जब कल नहीं था, कोई अफ़सोस भी नहीं था

जब कल नहीं था, बहुत मोहब्बत थी
जब कल नहीं था, बहुत ख़ुशी थी
जब कल नहीं था, बहुत सुकून था

अफ़सोस की आज "कल" है
इस लिए
मोहब्बत की शदीद ख्वाइश है
ख़ुशी के लिए दिल तड़प रहा है
सुकून की तो सिर्फ उम्मीद ही है

आज "कल" में जैसे की खो गया है
- मुस्तन जिरुवाला

Comments

The Learner.... said…
very nice this is... keep writing :)
Musten said…
Thank you, Smitz :)

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